विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइडलाइन के बाद विवि ने तैयारियां शुरू कर दी है। अब सभी विश्वविद्यालयों को फीस, रैंकिंग, एक्रीडिटेशन, एडमिशन, रिसर्च, पेटेंट, विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी।
अब निजी या सरकारी विश्वविद्यालय कोई भी गलत जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर सकेंगे। अक्सर विश्वविद्यालय हाईटेक सुविधाओं के नाम पर विद्यार्थियों को गलत जानकारी दे देते हैं। विद्यार्थी भी प्रवेश ले लेते हैं। सभी विश्वविद्यालयों को फीस, रैंकिंग, एक्रीडिटेशन, एडमिशन, रिसर्च, पेटेंट, विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। साथ ही विवि को फैकल्टी की फोटो सहित उनके विभाग की जानकारी भी अपलोड करनी है।
जानकारी गलत होने पर कार्रवाईविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइडलाइन के बाद विवि ने तैयारियां शुरू कर दी है। खासतौर पर फैकल्टी की जानकारी अपलोड करने को लेकर है। इसका कारण यह है कि सरकारी विवि में 80 प्रतिशत फैकल्टी के पद खाली हैं।वहीं निजी विश्वविद्यालयों ने वेबसाइट पर सिलेबस, फैकल्टी रिसर्च,कोर्स आदि की जानकारी गलत अपलोड है। अगर वेबसाइट पर दी जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालयों की जांच की जाए तो 90 प्रतिशत जानकारी गलत होगी। यूजीसी की गाइडलाइन के बाद निजी विनियामक आयोग विवि की वेबसाइट सहित भौतिक सत्यापन भी करेगी। जानकारी गलत होने पर कार्रवाई भी की जाएगी।
अभिभावकों व विद्यार्थियों से मांगें गए थे सुझावयूजीसी ने विश्वविद्यालयों की जानकारी वेबसाइट पर न होने के कारण विद्यार्थी और अभिभावक भ्रमित होते हैं। यूजीसी ने अभिभावकों, छात्रों, रिसर्च, विशेषज्ञों, पूर्व छात्र,आम लोगों समेत अन्य लोगों से उच्च शिक्षा में बदलाव को लेकर बुनियादी जानकारी मांगी थी। इसी में सामने आया कि अधिकतर विश्वविद्यालयों की वेबसाइट पर फीस, दाखिला, प्रास्पेक्टस, रिसर्च, फैकल्टी, लाइब्रेरी, वार्षिक रिपोर्ट समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां अपलोड नहीं की गई है।